जब 70 साल इस कानून को दे दिये तो कुछ साल इसे हटाकर भी देखते है, बहरहाल सभी खुश है उन्हें छोड़कर जो इस 370 हटने के विरोध में है, चाहे वो सियासतदान हो, पत्थरबाज हो, या ना पाक टुकड़ो पर पलने वाले कुत्ते....
साधारण या देसी भाषा मे भारत मे ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख के रूप मे प्रसिद्ध इस जन्नत को विदेश होने का स्टेटस मिल गया, ऐसा क्यू हुआ ????
क्या है धारा 370 :
आज़ादी के बाद सभी रियासतों को भारतीय संघ शामिल किया गया। जम्मू-कश्मीर को भारत के संघ में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करने के पहले ही पाकिस्तान समर्थित कबिलाइयों ने उस पर आक्रमण कर दिया। उस समय कश्मीर के राजा हरि सिंह कश्मीर के राजा थे। उन्होंने कश्मीर के भारत में विलय का प्रस्ताव रखा।
तब इतना समय नहीं था कि कश्मीर का भारत में विलय करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की जा सके। हालात को देखते हुए गोपालस्वामी आयंगर ने संघीय संविधान सभा में धारा 306-ए, जो बाद में धारा 370 बनी, का प्रारूप प्रस्तुत किया। इस तरह से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिल गए।क्या था अधिकार :
- रक्षा, विदेश और दूर संचार के अलावा केंद्र का कोई सीधा हस्तक्षेप नही होगा- भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
- वित्तीय आपातकाल लगाने वाली धारा 360 भी जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होती।
- जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा है।
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर में रक्षा, विदेश मामले और संचार के अलावा कोई अन्य कानून नहीं बना सकती।
- धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं।
- कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहरी से शादी करती है तो उसकी कश्मीर की नागरिकता छिन जाती है।
देसी भाषा मे, अगर 70 साल में वहां कोई हल नही निकला, तो क्या ज़रूरत है ऐसे बकवास अधिकारों की।
धारा 370 का फ़ायदा सिर्फ़ अलगावादियों के बच्चो और अब्दुल्ला - मुफ़्ती परिवार को मिला,
क्या पता, मैनुफैक्चरिंग और पर्यटक उद्योगों के चलते लोगो का जीवन स्तर सुधर जाए, डर का माहौल खत्म हो जाये और पत्थर फेंकने पर मिलने वाले पैसो की जगह बिज़नेस और जॉब्स से मिली
तनख्वाह लोगो को ज़्यादा सुकून दे ।