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Friday, March 22, 2019

Muzaffarnagar Loksabha 2019 Ajit Singh vs Sanjeev Baliyan

मुजफ्फरनगर का किंग कौन ?
2019 के चुनावी समर का आगाज़ हो चुका है, चक्रव्यूह रचना हो चुकी है, सभी राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ अपनी अपनी चाले चलने को व्याकुल है, अब जब चुनावी रणभेरी बज चुकी है अब योद्धाओ को अपने रण कौशल से जीत की राह तलाश सत्ता का सुख पाना है , आप सत्ता सुख को समाजसेवा भी कह सकते है लेकिन सच तो ये ही है की समाजसेवा करने के लिए चुनाव लड़ने की कोई जरूरत ही नहीं है, तो हम बात करते है उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित लोकसभा सीटो मे से एक सीट; मुजफ्फरनगर लोकसभा, जो की पश्चिम उत्तरप्रदेश के अंतर्गत आती है और इस बार भी खासा चर्चित है, दंगो का दंश झेल चुका ये जिला अब सामान्य हो सा गया है, पिछले लोकसभा चुनावो मे मौजूदा सांसद श्री संजीव बालियान ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी को 4 लाख से अधिक वोटो से हरा कर यूपी मे दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी, और बाकी बचे उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त करा दी थी, जिसका इनाम उन्हे केंद्र मे मंत्रिपद से भी मिला था, लेकिन इस बार उनका सामना देश और यूपी के कद्दावर नेता चौधरी अजित सिंह से है, ये चुनावी भिड़ंत बहुत ही रोचक होने जा रही है क्यूकी दोनों ही मुख्य प्रतिद्वंदी एक ही जाति से आते है, इस बार एसपी और बीएसपी के हाथ मिलाने से और आरएलडी को ये सीट देने से समीकरण थोड़े बदले है, चलिये अब बात करते है कुछ facts और figures की,
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभाये आती  है,  और वर्तमान मे पांचों सीट भाजपा की झोली मे है , टोटल voters : करीब 16 लाख, पिछली बार इस सीट पर भाजपा को 62 % वोट मिले थे, लेकिन अगर बात विधानसभा चुनावो की करे तो भले ही भाजपा पांचों सीटे जीतने मे सफल रही लेकिन वोट % मे गिरावट है, और अगर सपा , बसपा और रालोद का वोट बैंक जोड़ दिया जाए तो हर सीट पर इस महागठबंधन की जीत होगी, हालांकि लोकसभा चुनावो के मुद्दे अलग होते है, पिछली बार अगर भाजपा इस मुस्लिम बहुल सीट पर चुनाव जीत पायी थी तो उसका प्रमुख कारण  गैर मुस्लिम वोटो का एकमुश्त भाजपा की तरफ जाना और मुस्लिम वोटो मे बिखराव था, करीब 5 लाख मुस्लिम मतदाताओ वाली इस सीट पर दूसरे नंबर पर बसपा का मजबूत वोट बैंक है जो की करीब 2.5 लाख के आसपास है, वहीं जाट मतदाताओ की संख्या करीब 1.35 लाख है, स्वर्ण वोटर्स की संख्या भी करीब 1.90 लाख है लेकिन जो 4 लाख से अधिक Non जाट ओबीसी वर्ग की संख्या है जिसमे प्रजापति समाज, कश्यप समाज, सैनी समाज, गुर्जर समाज प्रमुखता से आते है, इस बार यही वर्ग इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाएगा, जाट वोटर्स मे बिखराव होना तय है अगर सपने मे जो निर्देश ना मिले तो, अगर विधानसभा के वोट को सिर्फ गणित के हिसाब से देखे तो 6.5 लाख वोट महागठबंधन के हिस्से आते है और करीब 5 लाख वोट भाजपा के हिस्से आते है, लेकिन जब बात लोकसभा चुनावो की हो तो स्थानीय मुद्दो के साथ राष्ट्रीय मुद्दे भी जुड़ जाते है,
हमारी शुभकामनाए दोनों ही प्रत्याशियों के साथ है पर बात इस बार चौधराहट की है तो देखते है कौन बनता है मुजफ्फरनगर का बड़ा चौधरी