Once upon a time, Minister of State for External Affairs General (retd) V K Singh, made a controversial remark especially one word " Presstitutes"; But this is just a catalyst for this blog.
The matter is, अगर कोई व्यक्ति अपनी याददाश्त भूल जाये और फ़िर न्यूज़ चैनल्स देखे तो उसे लगेगा भारत शायद दिल्ली एनसीआर तक ही फैला हुआ है, और कुछ एक प्रदेश भी इस देश में आते होंगे, देश में छः, सात ही मुख्यमंत्री होंगे....
खोजी पत्रकारिता या निर्भीक पत्रकारिता के नाम पर इनका स्कोर शून्य ही है...
जब The Hindu के पत्रकार कोई scam पकड़ते है तब जाकर TV मीडिया की आंखे खुलती है,
खबरो के नाम पर वह कभी अख़बार के परजीवी बनते है तो कभी सोशल मीडिया का, आप और हममे से शायद ही कोई भारत वर्ष के दक्षिण और उत्तरपूर्व के सभी मुख्यमंत्रियों के नाम जानते होंगे, इन तक़रीबन पन्द्रह से बीस राज्यो की विस्तृत खबरें बड़ी मुश्क़िल से मिल पाती है, सिर्फ़ टी आर पी और व्यक्तिगत लाभ लेने के चलते ही इन लोगो का चरित्र सामने आता है, दिल्ली में बैठकर बस ऊलजलूल पंचायते करना ही इनका काम है, जब दिल्ली में डेंगू बीमारी फ़ैली तो उससे रोकथाम के उपाय वाले प्रोग्राम नगण्य थे, ऐसा भी हो सकता था कि दिन में कुछ घण्टे सिर्फ़ बीमारी से बचने के प्रोग्राम चलाये जाते है जैसे रोज़ रोज़ हिन्दू मुस्लिम या शोर मचाने वाले डिबेट शो चलाये जाते है, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल की छवि का छीछालेदर करने के बहुत प्रोग्राम थे, एक ब्रेकिंग न्यूज़ याद आती है जिसमे लिखा था दिल्ली में छः व्यक्तियों की डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी से मौत.... और नीचे छोटी सी लाइन चल रही थी, झारखण्ड या छत्तीसगढ़ में रहस्यमय महामारी या बीमारी के चलते 13 व्यक्तियों की मौत, मेरी उपरोक्त दो पंक्तियों से ही समझ आ रहा होगा क़ि ब्रेकिंग न्यूज़ याद है लेकिन दूसरी छोटी पंक्ति में व्यक्तियों की मौत की संख्या ही सही से याद है, प्रदेश का नाम याद नही!!
उन दिनों दिल्ली प्रदेश की सरकार के कुछ लोग चर्चा में भी थे जैसे सोमनाथ भारती का अपनी बीवी के साथ झगड़ा, कानून मंत्री की फर्ज़ी डिग्री और फ़िर एक टीवी कमर्शियल आया पार्टी की तरफ़ से और हो गया मीडिया मैनेज.....
इन तथाकथित नेशनल टेलीविज़न न्यूज़ चैनल्स पर दोपहर को एक प्रोग्राम भी एक से डेढ़ घण्टे तक प्रसारित होता है; सास, बहु और साजिश ! कुछ ऐसी ब्रेकिंग न्यूज़ भी आती है इस एक्ट्रेस के साथ दिखे ये एक्टर या ये क्रिकेटर....
ये चैनल्स अपने को नेशनल टेलीविज़न बताते फ़िरते है, अगर नेशनल चैनल्स हैं तो अन्य राज्यो की विस्तृत ख़बरे भी दिखाए, और हाँ एक बात और..... अन्य राज्यो की बस नकारात्मक ख़बरे ही आती है, सकारात्मक और प्रेरणादायक ख़बरे देखने के लिए हमें ही खोजी पत्रकार बनना पड़ता है
मतलब साफ़ है ये न्यूज़ चैनल्स cum मनोरंजन चैनल्स ही है, ये न्यूज़ बना कर बेचने वाले.....
दूसरे राज्यों की खबरें सुनने के लिए अलग से रीज़नल चैनल्स देखो,
अभी जब यूपी के यादव परिवार में झगड़ा हुआ तो नोटबंदी के अंतिम दिनों में वो वो झगड़ा ही नेशनल न्यूज़ थी, अम्मा की बीमारी से मौत और पार्टी का झगड़ा ही सिर्फ़ एक ख़बर याद आती है,
अरनब गोस्वामी जैसे पत्रकारों ने मुम्बई में रहकर अपना एक अलग मुक़ाम हासिल किया, ये होता है जज़्बा और प्यार अपने कर्म से..
बस एक परिकल्पना करना चाहता हूँ कि क्या न्यूज़ चैनल्स आज के समय जो दिखा रहे है, वही दिखा रहे होते कि अग़र न्यूज़ चैनल्स चेन्नई में होते तो...
The matter is, अगर कोई व्यक्ति अपनी याददाश्त भूल जाये और फ़िर न्यूज़ चैनल्स देखे तो उसे लगेगा भारत शायद दिल्ली एनसीआर तक ही फैला हुआ है, और कुछ एक प्रदेश भी इस देश में आते होंगे, देश में छः, सात ही मुख्यमंत्री होंगे....
खोजी पत्रकारिता या निर्भीक पत्रकारिता के नाम पर इनका स्कोर शून्य ही है...
जब The Hindu के पत्रकार कोई scam पकड़ते है तब जाकर TV मीडिया की आंखे खुलती है,
खबरो के नाम पर वह कभी अख़बार के परजीवी बनते है तो कभी सोशल मीडिया का, आप और हममे से शायद ही कोई भारत वर्ष के दक्षिण और उत्तरपूर्व के सभी मुख्यमंत्रियों के नाम जानते होंगे, इन तक़रीबन पन्द्रह से बीस राज्यो की विस्तृत खबरें बड़ी मुश्क़िल से मिल पाती है, सिर्फ़ टी आर पी और व्यक्तिगत लाभ लेने के चलते ही इन लोगो का चरित्र सामने आता है, दिल्ली में बैठकर बस ऊलजलूल पंचायते करना ही इनका काम है, जब दिल्ली में डेंगू बीमारी फ़ैली तो उससे रोकथाम के उपाय वाले प्रोग्राम नगण्य थे, ऐसा भी हो सकता था कि दिन में कुछ घण्टे सिर्फ़ बीमारी से बचने के प्रोग्राम चलाये जाते है जैसे रोज़ रोज़ हिन्दू मुस्लिम या शोर मचाने वाले डिबेट शो चलाये जाते है, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल की छवि का छीछालेदर करने के बहुत प्रोग्राम थे, एक ब्रेकिंग न्यूज़ याद आती है जिसमे लिखा था दिल्ली में छः व्यक्तियों की डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी से मौत.... और नीचे छोटी सी लाइन चल रही थी, झारखण्ड या छत्तीसगढ़ में रहस्यमय महामारी या बीमारी के चलते 13 व्यक्तियों की मौत, मेरी उपरोक्त दो पंक्तियों से ही समझ आ रहा होगा क़ि ब्रेकिंग न्यूज़ याद है लेकिन दूसरी छोटी पंक्ति में व्यक्तियों की मौत की संख्या ही सही से याद है, प्रदेश का नाम याद नही!!
उन दिनों दिल्ली प्रदेश की सरकार के कुछ लोग चर्चा में भी थे जैसे सोमनाथ भारती का अपनी बीवी के साथ झगड़ा, कानून मंत्री की फर्ज़ी डिग्री और फ़िर एक टीवी कमर्शियल आया पार्टी की तरफ़ से और हो गया मीडिया मैनेज.....
इन तथाकथित नेशनल टेलीविज़न न्यूज़ चैनल्स पर दोपहर को एक प्रोग्राम भी एक से डेढ़ घण्टे तक प्रसारित होता है; सास, बहु और साजिश ! कुछ ऐसी ब्रेकिंग न्यूज़ भी आती है इस एक्ट्रेस के साथ दिखे ये एक्टर या ये क्रिकेटर....
ये चैनल्स अपने को नेशनल टेलीविज़न बताते फ़िरते है, अगर नेशनल चैनल्स हैं तो अन्य राज्यो की विस्तृत ख़बरे भी दिखाए, और हाँ एक बात और..... अन्य राज्यो की बस नकारात्मक ख़बरे ही आती है, सकारात्मक और प्रेरणादायक ख़बरे देखने के लिए हमें ही खोजी पत्रकार बनना पड़ता है
मतलब साफ़ है ये न्यूज़ चैनल्स cum मनोरंजन चैनल्स ही है, ये न्यूज़ बना कर बेचने वाले.....
दूसरे राज्यों की खबरें सुनने के लिए अलग से रीज़नल चैनल्स देखो,
अभी जब यूपी के यादव परिवार में झगड़ा हुआ तो नोटबंदी के अंतिम दिनों में वो वो झगड़ा ही नेशनल न्यूज़ थी, अम्मा की बीमारी से मौत और पार्टी का झगड़ा ही सिर्फ़ एक ख़बर याद आती है,
अरनब गोस्वामी जैसे पत्रकारों ने मुम्बई में रहकर अपना एक अलग मुक़ाम हासिल किया, ये होता है जज़्बा और प्यार अपने कर्म से..
बस एक परिकल्पना करना चाहता हूँ कि क्या न्यूज़ चैनल्स आज के समय जो दिखा रहे है, वही दिखा रहे होते कि अग़र न्यूज़ चैनल्स चेन्नई में होते तो...
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