Thursday, August 15, 2019

बाटला हाउस फ़िल्म रिव्यु


बटला हाउस एनकाउंटर जिसे आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन बाटला हाउस के रूप में जाना जाता है, सितंबर 19, 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में  सनदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ की गयी मुठभेड़ थी, जिसमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए, दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ और पुलिस निरीक्षक स्व: मोहन चन्द शर्मा जी इस घटना में शहीद हो गए थे ।
15 अगस्त यानी आजादी के दिन से बेहतर और क्या हो सकता था बाटला हॉउस की release के लिए इसी दिन का फायदा उठाते हुए जॉन अब्राहम ने निखिल अडवानी के निर्देशन में बनी बाटला हाउस को स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज करने का फैसला किया।
अब फ़िल्म में कहानी.......
13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों की जांच के सिलसिले में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अफसर के के (रवि किशन) और संजीव कुमार (जॉन अब्राहम) अपनी टीम के साथ बाटला हाउस एल-18 नंबर की इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचते हैं। वहां पर पुलिस की इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों से मुठभेड़ होती है। इस मुठभेड़ में दो संदिग्धों की मौत हो जाती है और एक पुलिस अफसर के घायल होने के साथ-साथ के के की मौत। एक संदिग्ध मौके से भाग निकलता है। इस एनकाउंटर के बाद देश भर में राजनीति और आरोप-प्रत्यारोपों का माहौल गरमा जाता है।

विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और मानवाधिकार संगठनों द्वारा संजीव कुमार  की टीम पर बेकसूर स्टूडेंट्स को आतंकी बताकर फेक एनकाउंटर करने के गंभीर आरोप लगते हैं। इस सिलसिले में संजीव कुमार  को बाहरी राजनीति ही नहीं बल्कि डिपार्टमेंट की अंदरूनी चालों का भी सामना करना पड़ता है। वह मानसिक बीमारी से जूझता है। जांच को आगे बढ़ाने और खुद को निर्दोष साबित करने के सिलसिले में उसके हाथ बांध दिए जाते हैं। उसकी पत्नी नंदिता कुमार (मृणाल ठाकुर) उसका साथ देती है। कई गैलेंट्री अवॉर्ड्स से सम्मानित जांबाज और ईमानदार पुलिस अफसर अपनी व अपनी टीम को बेकसूर साबित कर पाता है? इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

 फिल्म में कुछ अच्छे डॉयलोग है।
 रिव्यु रिजल्ट : 3 स्टार, फर्स्ट हाफ ज़्यादा खींचा गया है, दूसरे1 हाफ में फ़िल्म अच्छी pace में चली है।
जॉन ने अच्छा अभिनय किया है, मृणाल और नोरा फतेही अच्छी लगी है।


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